Sant kabir saheb





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जी हा दोस्तो कबीर जी को आप ओर हम आज तक कवि और संत ही जानते आये है ! पर आज हम आपके सामने लाये है कुछ अनसुने राज जिनका शायद आपको कुछ पता भी न हो ओर हो सकता है जानकर हैरानी भी हो ।

संत कबीर साहेब 1398 ई में धरती पर अपने निज धाम (सतलोक) से सहशरीर  काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए।

पूर्णपरमेश्वर कबीर साहेब है 
                               सभी पवित्र धर्मो के पवित्र शास्त्रो में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है
ओर सत भगति देने व हमारा कल्याण करने के लिए वे हर युग मे अवतरित होते है

सतयुग में सत सुकृत कह टेरया ,त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरा।
 द्वापर में करुणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।





हिन्दू धर्मग्रन्थो में प्रमाण :- 
 👉ऋग्वेद मंडल 9 के सूक्त 96 के मंत्र 17 से 20 तक
    ऋग्वेद मंडल 10 के सूत्र 90 के मंत्र 3,4,5,15,ओर 16में
👉 यजुर्वेद अध्याय 19 के मंत्र 26 ओर 30 में
👉 सामवेद संख्या नंबर 359 अध्याय 4 खंड 25 के मंत्र 9
👉 अथर्ववेद कांड नंबर 4 अनुवाक न. 1 के मंत्र 1से 7 तक

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मुस्लिम धर्मग्रन्थो में प्रमाण:- 
                 सूरत फुरकान 25 के आयत नंबर 52 से 59 तक


सिक्ख धर्म ग्रन्थ में प्रमाण:-
👉    गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ठ न 721 के महला 1
👉    गुरु ग्रन्थ साहेब के राग "सिरी" महला 1 पृष्ट न. 24
👉    गुरु ग्रंथ साहिब के राग आसावरी महला 1 पृष्ठ न.           350,352,353



सन्तो की शब्दावलियों में प्रमाण :- 
संत गरीब दास जी -
     अनंत कोटी ब्रह्मांड का एक रत्ती नहीं भार ।
    सतगुरु पुरुष कबीर है वह कुल के सिरजनहार ।।

सन्त दादू दास जी-
      अबकी तेरी सब मिटे, जन्म मरण की पीर ।
     स्वास उस्वास सुमिर ले ,दादू नाम कबीर ।।


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